सूर्य
चन्द्रमा मंगल बुध गुरु शुक्र शनि राहु केतु यह सभी आपस मे सम्बन्ध रखते
है इन सम्बन्धो को बनाने वाला भी त्रिक सिद्धान्त ही काम करता है। यह
सिद्धान्त भी कर्म के सत रज और तम सिद्धान्त पर ही काम करता है। यथा
ब्रह्माण्डे तथा पिण्डे की कहावत के अनुसार जो भी ब्रह्माण्ड मे घटित हो
रहा है वह ही शरीर के अन्दर भी घटित हो रहा है लेकिन वही रश्मिया अपना काम
कर रही ह जो जन्म के समय मे कार्य करती थी,रसायन शास्त्र के नियम के अनुसार
जितना पानी मे नमक मिलाते जाओगे उतना वह नमकीन होता जायेगा लेकिन एक सीमा
पर जाकर पानी नमक को घोलना बन्द कर देगा। उसी प्रकार से हर ग्रह अपनी अपनी
सीमा के अनुसार जितनी रश्मिया शरीर के अन्दर कार्य करने के लिये अपना बल्
दे रही उतना ही असर कर पायेगा यह नही है कि रश्मिया कम है और ग्रह अपना
अधिक बल दे दे,जब ग्रह अपना बल देने के लिये आगे आयेगा तो उस बल को रोकने
के लिये भी कई कारक जो ग्रहों के रूप मे है सामने आने लगेंगे अगर ग्रह
अच्छा रूप दे रहा है और कार्य को गति प्रदान करने के लिये अपनी शक्ति को दे
रहा है तो खराब ग्रहो का कार्य उस गति को कम करने के लिये अपनी अपनी शक्ति
का प्रयोग करने लगेंगे,उसी प्रकार से जब ग्रह अपनी बुरी गति को प्रदान
करने के लिये अपना असर शुरु करेग उस समय भी जो भी कुंडली मे अच्छे ग्रह है
(Good stars in favor) अपना काम शुरु कर देंगे,इस प्रकार से ग्रह के द्वारा
दी जाने वाली दिक्कत कम हो जायेगी। विरले समय मे ही ऐसा होता है कि कोई
ग्रह किसी ग्रह को सहारा नही दे सके और जो घटना घटित होनी है वह पूरी शक्ति
से घटित हो जाये। आइये देखते है कि कौन सा ग्रह किस ग्रह से क्या सम्बन्ध
रखता है।
सूर्य के साथ जाते ही चन्द्रमा के अन्दर सूखापन आजाता है और जैसे रेगिस्तान मे धूप के अन्दर मारीचिका दिखाई देती है वैसी ही चन्द्रमा की सोच हो जाती है,मंगल के साथ जाते ही गर्म भाप का रूप चन्द्रमा ले लेता है और मानसिक सोच या जो भी गति होती है वह गर्म स्वभाव की हो जाती है बुध के साथ चन्द्रमा की युति अक्समात मजाकिया हो जाती है और कभी कभी मजाक मे जाललेवा भी हो जाती है गुरु के साथ चन्द्रमा अपने मे यही सोचता रहता है कि उससे अधिक कोई जानकार नही है साथ ही बार बार रिस्ते बनाने और बिगाडने मे चन्द्रमा के साथ गुरु का ही हाथ होता है मानसिक रूप से कभी तो वह जिन्दा करने की बात करने लगता है और कभी कभी बिलकुल ही समाप्त करने की बात करने लगता है। चन्द्रमा के बारे मे पूरी जानकारी नही दी जा रही है उसका कारण है कि लोग मेरे द्वारा लिखे गये लेखो को अपने नाम से प्रकाशित करते है और लोगो को गुमराह करते है सूर्य के बारे मे आप जानकारी नि:शुल्क प्राप्त कर सकते है
गुरु के साथ अन्य ग्रहों का सम्बन्ध
Jupiter यानी गुरु का रूप जीव के रूप मे जाना जाता है गुरु केवल वायु रूप है और वह सांस के अन्दर अपना निवास करता है,जल थल या नभ सभी स्थानो के जीवो मे गुरु अपनी ही मान्यता रखता है जब तक गुरु की सीमा है जीव का आस्तित्व है जैसे ही गुरु की सीमा समाप्त हो जाती है जीव का आस्तित्व समाप्त हो जाता है। गुरु के साथ सूर्य के मिलने से जीव और आत्मा का संगम हो जाता है गुरु जीव है सूर्य आत्मा है जिस जातक की कुंडली मे जिस भाव मे यह दोनो स्थापित होते है वह भाव जीवात्मा के रूप मे माना जाता है। गुरु का साथ चन्द्रमा के साथ होने से जातक मे माता के भाव जाग्रत रहते है,जातक के माता पिता का साथ रहता है जातक अपने ग्यान को जनता मे बांटना चाहता है। गुरु के साथ मंगल के मिलने कानून मे पुलिस का साथ हो जाता है धर्म मे पूजा पाठ और इसी प्रकार की क्रियाये शामिल हो जाती है,विदेश वास मे भोजन और इसी प्रकार के कारण जुड जाते है,गुरु के साथ बुध होने से जातक के अन्दर वाचालता आजाती है वह धर्म और न्याय के पद पर आसीन हो जाता है उसके अन्दर भावानुसार कानूनी ग्यान भी हो जाता है। शुक्र के साथ मिलकर गुरु की औकात आध्यात्मिकता से भौतिकता की ओर होना माना जाता है वह कानून तो जानता है लेकिन कानून को भौतिकता मे देखना चाहता है वह धर्म को तो मानता है लेकिन भौतिक रूप मे सजावट आदि के द्वारा अपने इष्ट को देखना चाहता है गुरु के साथ शनि के मिलने से जातक के अन्दर एक प्रकार से ठंडी वायु का संचरण शुरु हो जाता है जातक धर्मी हो जाता है कार्य करता है लेकिन कार्य फ़ल के लिये अपनी तरफ़ से जिज्ञासा को जाहिर नही कर पाता है जिसे जो भी कुछ दे देता है वापस नही ले पाता है कारण उसे दुख और दर्द की अधिक मीमांसा करने की आदत होती है। गुरु राहु का साथ होने से जातक धर्म और इसी प्रकार के कारणो मे न्याय आदि के लिये अपनी शेखी बघारने के अलावा और उसे कुछ नही आता है कानून तो जानता है लेकिन कानून के अन्दर झूठ और फ़रेब का सहारा लेने की उसकी आदत होती है वह धर्म को मानता है लेकिन अन्दर से पाखंड बिखेरने का काम भी उसका होता है। केतु के साथ मिलकर वह धर्माधिकारी के रूप मे काम करता है कानून को जानने के बाद वह कानूनी अधिकारी बन जाता है अन्य ग्रह की युति मे जैसे मंगल अगर युति दे रहा है तो जातक कानून के साथ मे दंड देने का अधिकारी भी बन जाता है गुरु के बारे में आप जानकारी नि:शुल्क प्राप्त कर सकते है
सूर्य का अन्य ग्रहो से सम्बन्ध
सूर्य जगत का राजा है अपने समय पर उदय होता है और अपने समय पर ही अस्त हो जाता है। जातक के लिये बलशाली होने पर उसे राज्य का बल देता है लोगो को हुकुम पर चलाने की औकात रखता है। शरीर मे हड्डियों का निर्माण करता है और बलशाली बनाता है शरीर के अन्दर एक अद्भुत चमक को देता है साथ ही एक प्रकार की अहम की मात्रा को देता है जिस मात्रा से जो भी काम हाथ मे लिया जाता है उसे पूरा किया जाता है। चन्द्रमा के साथ सम्बन्ध होने पर देखने के बाद सोचने के लिये शक्ति देता है मंगल के साथ मिलने पर शौर्य और पराक्रम की वृद्धि करता है,बुध के साथ मिलकर अपने शौर्य और गाथा को दूरस्थ प्रसारित करता है अपनी वाणी और चरित्र को तेजपूर्ण रूप मे प्रस्तुत करता है,शाही आदेश को प्रसारित करता है,गुरु के साथ मिलकर सभी धर्म और न्याय तथा लोगो के आपसी सम्बन्धो को बनाता है,लोगो के अन्दर धन और वैभव की कमी को पूरा करता है,शुक्र के साथ मिलकर राजशी ठाठ बाट और शान शौकत को दिखाता है भव्य कलाकारी से युक्त राजमहल और लोगो के लिये वैभव को इकट्ठा करता है शनि के साथ मिलकर गरीबो और कामगर लोगो के लिये राहत का काम देता है जिनके पास काम नही है जो भटकते हुये लोग है उन्हे आश्रय देता है पिता के रूप मे पुत्र को सहारा देता है राहु के साथ मिलकर चक्रवर्ती बनने के कारण पैदा करता है और केतु के साथ मिलकर अपनी आस्था विश्वास और न्याय को प्रसारित करने के लिये साधनो को नियुक्त करता है जो कार्य खुद नही कर सकता है वह केतु के द्वारा अपनी आज्ञा से करवाता है.यह सब तभी होता है जब सभी ग्रह अपनी अपनी शक्ति से सूर्य को अच्छा बल दे रहे होते है लेकिन कुंडली मे अगर सूर्य खराब भाव मे है तो वह खराब रूप ही प्रस्तुत करेगा,सूर्य के बारे मे पूरी जानकारी नही दी जा रही है उसका कारण है कि लोग मेरे द्वारा लिखे गये लेखो को अपने नाम से प्रकाशित करते है और लोगो को गुमराह करते है सूर्य के बारे मे आप जानकारी नि:शुल्क प्राप्त कर सकते है ईमेल हैMoon चन्द्रमा का अन्य ग्रहो से सम्बन्ध
जितने भी कार्य सोचने के है वह चन्द्रमा के द्वारा ही होते है अगर चन्द्रमा का रूप सही है तो जीवन मे सोचने की क्रिया सही होगी अगर चन्द्रमा का स्थान गंदा है तो सोचने का काम भी गंदा ही होगा और जैसे जैसे चन्द्रमा गोचर से अन्य ग्रहों के साथ जायेगा या भाव के अनुसार अपनी गोचर से क्रिया को पूर्ण करेगा उन भावो के बारे मे भी अपनी सोच को गंदा करता जायेगा। राहु के साथ चन्द्रमा के आते ही कई प्रकार के भ्रम आजाते है और उन भ्रमो से बाहर निकलना ही नही हो पाता है उसी प्रकार से केतु के साथ आते ही मोक्ष का रास्ता खुल जाता है,और जो भी भावना है वह खाली ही दिखाई देती है मन एक साथ नकारात्मक हो जाता हैसूर्य के साथ जाते ही चन्द्रमा के अन्दर सूखापन आजाता है और जैसे रेगिस्तान मे धूप के अन्दर मारीचिका दिखाई देती है वैसी ही चन्द्रमा की सोच हो जाती है,मंगल के साथ जाते ही गर्म भाप का रूप चन्द्रमा ले लेता है और मानसिक सोच या जो भी गति होती है वह गर्म स्वभाव की हो जाती है बुध के साथ चन्द्रमा की युति अक्समात मजाकिया हो जाती है और कभी कभी मजाक मे जाललेवा भी हो जाती है गुरु के साथ चन्द्रमा अपने मे यही सोचता रहता है कि उससे अधिक कोई जानकार नही है साथ ही बार बार रिस्ते बनाने और बिगाडने मे चन्द्रमा के साथ गुरु का ही हाथ होता है मानसिक रूप से कभी तो वह जिन्दा करने की बात करने लगता है और कभी कभी बिलकुल ही समाप्त करने की बात करने लगता है। चन्द्रमा के बारे मे पूरी जानकारी नही दी जा रही है उसका कारण है कि लोग मेरे द्वारा लिखे गये लेखो को अपने नाम से प्रकाशित करते है और लोगो को गुमराह करते है सूर्य के बारे मे आप जानकारी नि:शुल्क प्राप्त कर सकते है
मंगल का अन्य ग्रहो से सम्बन्ध
इस ब्रह्माण्ड मे जितने भी द्रश्य और अद्रश्य कारक है सभी मे मंगल की गर्मी स्थित है,जो वस्तु गर्मी को नही रख सकता है वह मंगल की श्रेणी से बाहर हो जाता है,एक पत्थर के अन्दर भी गर्मी है धरती के अन्दर तो इतनी गर्मी है कि जमीन के जितने नीचे जाते जाओगे गर्मी की मात्रा बढती जायेगी और ऐसी स्थिति भी आजयेगी जहां मिट्टी लावा के रूप मे पिघल कर बह रही होगी। जिसके अन्दर जितनी गर्मी होती है उतना ही वह शक्तिशाली माना जाता है। लेकिन इतनी अधिक गर्मी भी नही होनी चाहिये कि वह आग का गोला बनकर जलाने लगे और खुद जल जाये। सूर्य के साथ मिलकर मंगल खुद को उत्तेजित कर लेता है और जितना अहम बढता जायेगा उतना वह अच्छा भी काम कर सकता है और खतरनाक भी काम कर सकता है अगर मंगल फ़्री हो जाता है तो तानाशाही का कायम होना निश्चित है,मंगल के साथ चन्द्रमा मिलता है तो वह अपनी सोच को क्रूर रूप से पैदा कर लेता है उसकी सोच मे केवल गर्म पानी जैसी बौछार ही निकलती है बुध के साथ मिलकर फ़ूल को कुम्हलाने की हिम्मत रखता है बात को इतने खरे लहजे मे कहता है कि जो नाजुक लोग होते है वह बात करने मे भी डरने लगते है। लेकिन इस युति एक बार अच्छी मानी जाती है कि व्यक्ति के अन्दर बात करने की तकनीक आजाती है वह कम्पयूटर जैसे सोफ़्टवेयर की तकनीक को बना सकता है मंग्ल के साथ गुरु के मिलने से जानकारी के अलावा भी प्रस्तुत करने की कला आजाती है और यह जीवन के लिये कष्टदायी भी हो जाती है। जितनी जानकारी होती है उससे अधिक करने से भी एक प्रकार से नई समस्या पैदा हो जाती है और उसे सम्भालना नही हो पाता है। मंगल के साथ शुक्र के मिलने से कलात्मक कारणो मे तो तकनीक का विकास होने लगता है लेकिन शरीर के अन्दर यह युति अधिक कामुकता को पैदा कर देती है और शरीर के विनास के लिये दिक्कत का कारण बन जाता है शुगर जैसी बीमारिया लग जाती है,शनि के साथ मिलने से यह गर्म मिट्टी जैसे काम करवाने की युति देता है तकनीकी कामो मे सुरक्षा के कामो मे मन लगाता है,कत्थई रंग के कारण बनाने मे यानी सूखे हुये रक्त जैसे कारण पैदा करना इसकी शिफ़्त बन जाती है। राहु के साथ मंगल की युति होने से या तो बिजली तेल पेट्रोल आदि के कामो मे बरक्कत होने लगती है या राजपूती शान से खुद को शहीद करने मे भी वक्त नही लगता है,केतु के साथ मिलने से शरीर को पतला बनाने और केवल तकनीकी रूप से दूसरो के लिये काम करने के अलावा और कोई कारण नही बन पाता है,मंगलके बारे मे आप जानकारी नि:शुल्क प्राप्त कर सकते हैबुध के साथ अन्य ग्रहो का सम्बन्ध
बुध एक नाजुक ग्रह है यह मैने पहले ही बता दिया है इस ग्रह का रूप गोल होता है और भाषाई ग्यान के लिये यह अच्छा माना जाता है लेकिन बुध की एक आदत यह भी होती है कि व्यक्ति को खुद के ऊपर विश्वास नही होता है केवल बातो के अलावा और कोई भान नही होता है खुद को नचाने गाने भावो को प्रस्तुत करने की कला ही आती है अंग्रेजी आदि भाषाओ के जानकार लोगो को आप देख सकते है वह अपने बोलने के समय मे जो हाव भाव प्रस्तुत करते है वह बुध का ही एक रूप समझ मे आता है यानी बोलने के समय मे एक्टिंग करना,बुध के साथ सूर्य के मिलने से व्यक्ति की सोच राजदरबार मे राजदूत जैसी होती है वह कमजोर होने पर चपरासी जैसे काम करता है और वह अगर केतु के साथ सम्बन्ध रखता है तो रिसेपसन पर काम कर सकता है टेलीफ़ोन की आपरेटरी कर सकता है या ब्रोकर के पास बैठ कर केवल कहे हुये काम को कर सकता है इसकी युति के कारक ही काल सेंटर आदि माने जाते है,बुध के साथ चन्द्रमा के होने से लोगो का बागवानी की तरफ़ अधिक मन लगता है कलात्मक कारणो मे अपनी प्रकृति को मिक्स करने का काम होता है मंगल के साथ मिलकर जब भी कोई काम होता है तो तकनीकी रूप से होता है प्लास्टिक के अन्दर बिजली का काम बुध के अन्दर मंगल की उपस्थिति से ही है डाक्टरी औजारो मे जहां भी प्लास्टिक रबड का प्रयोग होता है वह बुध और मंगल की युति से माना जाता है बुध के साथ गुरु का योग होने से लोग पाठ पूजा व्याख्यान भाषण आदि देने की कला मे प्रवीण हो जाते है लोगो को बोलने और मीडिया आदि की बाते करना अच्छा लगता है,बुध के साथ शुक्र के मिलने से यह अपने को कलात्मक रूप मे आने के साथ साथ सजावटी रूप मे भी सामने करता है बाग बगीचे की सजावट मे और फ़ूलो आदि के गहने आदि बनाने प्लास्टिक के सजीले आइटम बनाने के लिये भी इसी प्रकार की युति काम करती है बुध के साथ शनि के मिलने से भी जातक के काम जमीनी होते है या तो वह जमीन को नापने जोखने का काम करने लगता है या भूमि आदि को नाप कर प्लाट आदि बनाकर बेचने का काम करता है इसके साथ ही बोलने चालने मे एक प्रकार की संजीदगी को देखा जा सक्ता है,इस प्रकार के जातक की दोस्ती पुराने और बुजुर्ग लोगो से अधिक होती है,एक प्रकार संतान के मामले मे यह लोग असमर्थ ही होते है। बुध के साथ राहु की युति होने से भी जातक के अन्दर अनाप सनाप बोलने के लिये झूठ का अधिक सहारा लेने के लिये जो जानकारी है उससे भी अधिक बखान करने के लिये देखा जाता है,बुध के साथ केतु की युति होने से जातक के लिये कोई न कोई कारण या तो दत्तक पुत्र जैसा बनता है या किसी प्रकार से दत्तक सन्तान जैसा व्यवहार जातक के साथ होता है.बुध के बारे मे आप जानकारी नि:शुल्क प्राप्त कर सकते हैगुरु के साथ अन्य ग्रहों का सम्बन्ध
Jupiter यानी गुरु का रूप जीव के रूप मे जाना जाता है गुरु केवल वायु रूप है और वह सांस के अन्दर अपना निवास करता है,जल थल या नभ सभी स्थानो के जीवो मे गुरु अपनी ही मान्यता रखता है जब तक गुरु की सीमा है जीव का आस्तित्व है जैसे ही गुरु की सीमा समाप्त हो जाती है जीव का आस्तित्व समाप्त हो जाता है। गुरु के साथ सूर्य के मिलने से जीव और आत्मा का संगम हो जाता है गुरु जीव है सूर्य आत्मा है जिस जातक की कुंडली मे जिस भाव मे यह दोनो स्थापित होते है वह भाव जीवात्मा के रूप मे माना जाता है। गुरु का साथ चन्द्रमा के साथ होने से जातक मे माता के भाव जाग्रत रहते है,जातक के माता पिता का साथ रहता है जातक अपने ग्यान को जनता मे बांटना चाहता है। गुरु के साथ मंगल के मिलने कानून मे पुलिस का साथ हो जाता है धर्म मे पूजा पाठ और इसी प्रकार की क्रियाये शामिल हो जाती है,विदेश वास मे भोजन और इसी प्रकार के कारण जुड जाते है,गुरु के साथ बुध होने से जातक के अन्दर वाचालता आजाती है वह धर्म और न्याय के पद पर आसीन हो जाता है उसके अन्दर भावानुसार कानूनी ग्यान भी हो जाता है। शुक्र के साथ मिलकर गुरु की औकात आध्यात्मिकता से भौतिकता की ओर होना माना जाता है वह कानून तो जानता है लेकिन कानून को भौतिकता मे देखना चाहता है वह धर्म को तो मानता है लेकिन भौतिक रूप मे सजावट आदि के द्वारा अपने इष्ट को देखना चाहता है गुरु के साथ शनि के मिलने से जातक के अन्दर एक प्रकार से ठंडी वायु का संचरण शुरु हो जाता है जातक धर्मी हो जाता है कार्य करता है लेकिन कार्य फ़ल के लिये अपनी तरफ़ से जिज्ञासा को जाहिर नही कर पाता है जिसे जो भी कुछ दे देता है वापस नही ले पाता है कारण उसे दुख और दर्द की अधिक मीमांसा करने की आदत होती है। गुरु राहु का साथ होने से जातक धर्म और इसी प्रकार के कारणो मे न्याय आदि के लिये अपनी शेखी बघारने के अलावा और उसे कुछ नही आता है कानून तो जानता है लेकिन कानून के अन्दर झूठ और फ़रेब का सहारा लेने की उसकी आदत होती है वह धर्म को मानता है लेकिन अन्दर से पाखंड बिखेरने का काम भी उसका होता है। केतु के साथ मिलकर वह धर्माधिकारी के रूप मे काम करता है कानून को जानने के बाद वह कानूनी अधिकारी बन जाता है अन्य ग्रह की युति मे जैसे मंगल अगर युति दे रहा है तो जातक कानून के साथ मे दंड देने का अधिकारी भी बन जाता है गुरु के बारे में आप जानकारी नि:शुल्क प्राप्त कर सकते है